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कांगड़ा की कुछ ऐसी खास बातें जो आप नहीं जानते होंगे

समाचार फर्स्ट डेस्क |

हिमाचल प्रदेश का कांगड़ा जिला जो कि हिमालय के पश्चिम में बसा है। इस जिले को 1966 में हिमाचल में मिलाया गया जब प्रदेश एक केंद्र शासित राज्य था। दूसरे सबसे बड़े जिले कांगड़ा का कुल क्षेत्र 5,739 प्रतिवर्ग किलोमीटर है जो प्रदेश का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा है। कांगड़ा में लिंग अनुपात हर 1013 महिला पर 1000 पुरुष हैं और साक्षरता दर 86.49 प्रतिशत है।
यहां के लोग स्पेशल नाम कांगडी से जाने जाते हैं ओर यहां की बोली कांगड़ी है, जो की पंजाबी से काफी हद तक मेल खाती है। यहां के पारंपरिक परिधान परुषों में कुर्ता पजामा और सर्दियों में ऊनी जैकेट का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, महिलाएं साधारण सलवार कमीज  के साथ दुप्पटे का इस्तेमाल करती हैं जिन्हें कांगड़ी बोली में चादरू भी कहा जाता है।

कांगड़ा है हिमाचल का सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य जहां 1,510,075 लोग रहते है

इस जिले का कटोच वंश दुनिया की सबसे पुराना शाही वंश है जो आज भी है

धर्मशाला हिमाचल का सबसे नमी वाली जगह है

मशरुर का रोक कट मंदिर, जिसे हिमालय का पिरामिड भी कहते है, UNESCO की वर्ल्ड की विरासत स्थल का दावेदार है

  • कांगड़ा शब्द कान और गड़ा (बनाना) से बना है। पुराने समय में एक प्रसिद्ध प्लास्टिक सर्जन जो कि अपने राज्य के घायल सैनिकों की सर्जरी कर उन्हेंआकर्षक रूप देता था।
  • चार अप्रैल 1905 को आए भूकंप से हिमाचल की 20 हजार जनसंख्या में अकेले कांगडा के 1339 लोगों की जाने गईं।
  • कांगड़ा घाटी में 1850 में चाय की खेती शुरू की गई।
  • 1905 में आए भूकंप के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने धर्मशाला की ग्रीष्म राजधानी बनाने की प्रस्ताव रखा लेकिन बाद में इसे शिमला की और ट्रांसफर कर दिया गया।
  • धर्मशाला से खनियारा गांव के कैप्टन राम सिंह ठाकुर, भारतीय गोरखा फ्रीडम फाइटर, संगीतकार और कंमपोजर थे. जिन्होंने फौज में ही जन-गण-मन की धुन बनाई। इसके साथ उन्होंने कई देश भक्ति से जुड़े गाने कम्पोज किए।
  • बीड़ बिलिंग को पैराग्लाइड़िंग के लिए दुनिया की बेहतरीन जगह माना जाता है। अक्टूबर 2015 में बीड़ बिलिंग में दुनिया का पहला पैराग्लाइड़िंग वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ।