➤ हाई कोर्ट ने युग हत्याकांड में दोषियों की फांसी की सजा बदलकर उम्रकैद कर दी
➤ परिजनों ने फैसले पर जताई नाराजगी, सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की
➤ 2014 में हुए अपहरण और 2016 में बरामद हुआ था मासूम युग का कंकाल
शिमला। बहुचर्चित युग हत्याकांड में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए जिला अदालत की ओर से सुनाई गई फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। विशेष खंडपीठ comprising न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैंथला ने मामले की सुनवाई के बाद यह निर्णय सुनाया। अदालत ने दोषियों में से चंद्र शर्मा और विक्रांत बख्शी को उम्रकैद की सजा दी है, जबकि तेजेंद्र पाल को बरी करने के आदेश जारी किए हैं।
इससे पहले 6 सितंबर 2018 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने इस अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में पाते हुए तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी।
फैसले पर युग के पिता विनोद गुप्ता ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि 11 साल बीत जाने के बाद भी उनके मासूम बेटे को न्याय नहीं मिला है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि युग की निर्मम हत्या के दोषियों को फांसी मिलनी चाहिए थी, लेकिन अब भी वे जिंदा हैं। उन्होंने ऐलान किया कि वह सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाएंगे और दोषियों को तुरंत फांसी दिलाने की मांग करेंगे।
गौरतलब है कि 14 जून 2014 को शिमला के राम बाजार से चार वर्षीय युग का तीन लोगों ने अपहरण किया था। अपहरणकर्ताओं ने उसके पिता से साढ़े तीन करोड़ रुपये फिरौती की मांग की थी। लेकिन फिरौती न मिलने पर मासूम युग को निर्ममता से मार दिया गया। अगस्त 2016 में भराड़ी के पेयजल टैंक से उसका कंकाल बरामद हुआ था। आरोपियों ने युग के शरीर में पत्थर बांधकर उसे पानी से भरे टैंक में फेंक दिया था।
सीआईडी ने 25 अक्टूबर 2016 को इस मामले की चार्जशीट अदालत में पेश की थी। ट्रायल के दौरान 135 गवाहों में से 105 ने बयान दिए थे और मात्र साढ़े 10 माह में निचली अदालत ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी। अब हाई कोर्ट के फैसले ने परिजनों के घाव ताजा कर दिए हैं।



