मेघालय की एक कोयला खदान में गत 13 दिसंबर से फंसे करीब 15 खनिकों को अभी तक निकाला नहीं जा सका है। बचावकर्मी इन खनिकों तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन बाढ़ का पानी खान के अंदर जाने के कारण उनके बचने की संभावना अब क्षीण होती जा रही है। उधर, इन श्रमिकों के परिवारवाले ईश्वर से प्रार्थना कर चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं। खान के अंदर से बदबू भी आ रही है।
अधिकारियों ने बताया कि रविवार को खान के पास स्थित नदी से बाढ़ आने के कारण बचाव कार्य को रोक दिया गया था। एनडीआरएफ के कमांडेंट ने बताया कि उनका 100 सदस्यीय दल कोयले की खान के पास है लेकिन अत्याधुनिक उपकरणों के ना होने की वजह से बचाव कार्य प्रभावित हो रहा है।
बताया जा रहा है कि कोयले की यह खान काफी पुरानी और अवैध है। इस तरह की खान मेघायल में सामान्य बात है। कोयले की ये खानें बहुत संकरी होने के कारण खतरनाक होती हैं। इसमें से कोयला निकालने के लिए खनिक बांस की सीढ़ी से खान के अंदर जाते हैं जिससे अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। खान में फंसे 15 खनिकों में सात लोग वेस्ट गारो हिल्स डिस्ट्रिक के रहने वाले हैं जबकि पांच लोग असम और तीन लुमथारी गांव के रहने वाले हैं। इसी गांव में यह हादसा हुआ है।
वहीं राज्य सरकार ने इन सभी खनिकों के परिवारवालों को एक-एक लाख रुपये अंतरिम राहत राशि देने का ऐलान किया। सरकार ने कोल इंडिया से पानी निकालने के लिए हाई पॉवर की पंप मांगी है। अभी जिन पंपों का इस्तेमाल पानी निकालेन के लिए किया जा रहा है, वे नाकाफी साबित हो रही हैं। उधर, परिवारवालों ने अब उनके जिंदा वापस लौटने की आस छोड़ दी है।