समाचार फर्स्ट एजेंसी
New Delhi: वन नेशन वन इलेक्शन होगा। यानि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होंगे। इस प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। शीतकालीन सत्र में बिल पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में वन नेशनल वन इलेक्शन का वादा किया था, जिसे पूरा किया है बता दें कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दी गई स्पीच में भी प्रधानमंत्री ने वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं। वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है। पैनल का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था।
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ क्या है?
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।