स्वतंत्रा दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, कल हमारी आज़ादी के 71 वर्ष पूरे हो रहे हैं। कल हम अपनी स्वाधीनता की वर्षगांठ मनाएंगे। राष्ट्र-गौरव के इस अवसर पर मैं आप सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त का दिन प्रत्येक भारतीय के लिए पवित्र होता है। हमारा 'तिरंगा' हमारे देश की अस्मिता का प्रतीक है। इस दिन हम देश की संप्रभुता का उत्सव मनाते हैं और अपने उन पूर्वजों के योगदान को कृतज्ञता से याद करते हैं, जिनके प्रयासों से हमने बहुत कुछ हासिल किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज़ादी हमारे पूर्वजों और स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम थी। स्वाधीनता संग्राम में संघर्ष करने वाले सभी वीर और वीरांगनाएं, असाधारण रूप से साहसी और दूर-द्रष्टा थे. इस संग्राम में देश के सभी क्षेत्रों, वर्गों और समुदायों के लोग शामिल थे।वे चाहते तो सुविधापूर्ण जीवन जी सकते थे, लेकिन देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे एक ऐसा स्वाधीन और प्रभुता-सम्पन्न भारत बनाना चाहते थे, जहां समाज में बराबरी और भाई-चारा हो। हम उनके योगदान को हमेशा याद करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमें महान देशभक्तों की विरासत मिली है। उन्होंने हमें एक आज़ाद भारत सौंपा है। साथ ही उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं, जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे।देश का विकास करने, तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के काम हम सबको करने हैं। हमारे किसान उन करोड़ों देशवासियों के लिए अन्न पैदा करते हैं, जिनसे वे कभी आमने-सामने मिले भी नहीं होते। वे देश के लिए खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराके हमारी आज़ादी को शक्ति प्रदान करते हैं। जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं। वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्चित करते हैं। जब हम सैनिकों के लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, स्वदेश में ही रक्षा उपकरणों के लिए सप्लाई-चेन विकसित करते हैं, और सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान महिलाओं की बात भी की। उन्होंने कहा कि महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है। कई मायनों में महिलाओं की आज़ादी को व्यापक बनाने में ही देश की आज़ादी की सार्थकता है। यह सार्थकता, घरों में माताओं, बहनों और बेटियों के रूप में, तथा घर से बाहर अपने निर्णयों के अनुसार जीवन जीने की उनकी स्वतंत्रता में देखी जा सकती है। उन्हें अपने ढंग से जीने का, तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा, हम अपने युवाओं का कौशल-विकास करते हैं, उन्हें टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और उद्यमिता के लिए, तथा कला और शिल्प के लिए प्रेरित करते हैं। जब हम अपने युवाओं की असीम प्रतिभा को उभरने का अवसर प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं। वह प्रत्येक भारतीय जो अपना काम निष्ठा व लगन से करता है – चाहे वह डॉक्टर हो, नर्स हो, शिक्षक हो, लोक सेवक हो, फैक्ट्री वर्कर हो, व्यापारी हो, बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने वाली संतान हो ये सभी स्वाधीनता के आदर्शों का पालन करते हैं। ह
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आज हम अपने इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जो अपने आप में बहुत अलग है। आज हम कई ऐसे लक्ष्यों के काफी क़रीब हैं, जिनके लिए हम वर्षों से प्रयास करते आ रहे हैं। सबके लिए बिजली, खुले में शौच से मुक्ति, सभी बेघरों को घर और अति-निर्धनता को दूर करने के लक्ष्य अब हमारी पहुंच में हैं। आज हम एक निर्णायक दौर से गुजर रहे हैं,ऐसे में हमें इस बात पर जोर देना है कि हम ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें और ना ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें।
राष्ट्रपति ने कहा, हमारे देश में बदलाव और विकास तेजी से हो रहा है और इस की सराहना भी हो रही है। ग्राम स्वराज अभियान के दायरे में उन 117 आकांक्षी जिलों को भी शामिल कर लिया गया है, जो आज़ादी के सात दशक बाद भी हमारी विकास यात्रा में पीछे रह गए हैं। इस बार स्वाधीनता दिवस के साथ एक खास बात जुड़ी हुई है। 2 अक्टूबर से, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो जाएंगे।
गांधीजी ने, केवल हमारे स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व ही नहीं किया था, बल्कि वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे और सदैव रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे सामने, सामाजिक और आर्थिक पिरामिड में सबसे नीचे रह गए देशवासियों के जीवन-स्तर को तेजी से सुधारने का अच्छा अवसर है। ग्राम स्वराज अभियान का कार्य केवल सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है। यह अभियान सरकार और समाज के संयुक्त प्रयास से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में विश्व मेंजहां-जहां पर मैं गया, सम्पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधीजी को सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। उन्हें मूर्तिमान भारत के रूप में देखा जाता है। हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा। उन्हें राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं मंजूर नहीं थीं। चंपारण में और अन्य बहुत से स्थानों पर गांधी जी ने स्वयं स्वच्छता अभियान का नेतृत्व किया। गांधीजी ने अहिंसा का यह अमोघ अस्त्र हमें प्रदान किया है। उन्होंने कहा, इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम सब भारतवासी अपने दिन-प्रतिदिन के आचरण में गांधीजी द्वारा सुझाए गए रास्तों पर चलने का संकल्प लें।
उन्होंने कहा, हम सब ग़रीबी, अशिक्षा और असमानता को दूर कर सकते हैं।हम सब मिलकर ये सभी काम कर सकते हैं। यद्यपि इसमें सरकार की प्रमुख भूमिका होती है, परंतु एकमात्र भूमिका नहीं।आइए, हम अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार के कार्यक्रमों और परियोजनाओं का पूरा-पूरा उपयोग करें। आइए देश के काम को अपना काम समझें। उन्होंने पूरे देश के लोगों के स्वर्णिम भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं दी है।