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सिनेमा जगत के पितामह वी. शांताराम को गूगल ने डूडल बनाकर किया याद

समाचार फर्स्ट |

शनिवार को गुगल ने वी. शांताराम के 116वें जन्मदिवस पर श्रद्धांजलि दी है। गूगल ने वी. शांताराम का डूडल बनाकर उन्हें याद किया। वी. शांताराम को  उनकी फिल्मों के लिए आज भी याद किया जाता है और उन्होंने अपने जीवन के लगभग 50 साल फिल्म जगत को दिए। वह केवल डायरेक्टर ही नहीं बल्कि, एक्टर, एडिटर और फिल्म प्रोड्यूसर जैसे हर काम में माहिर थे. वह कई प्रतिभाओं में माहिर थे और उन्होंने फिल्म निर्माण की नई शैली को विकसित किया. उन्हें सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर अर्थपूर्ण फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है।

वी शांताराम का जन्म 1901 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। उन्होंने 1927 में अपनी पहली फिल्म डायरेक्ट की थी। इस फिल्म का नाम 'नेताजी पालकर' है।

गूगल ने अपने डूडल में शांताराम की 1950 के दशक में आई तीन फिल्मों की तस्वीरों को उकेरा है। पहली में 1951 में बनी 'अमर भोपाली' का गडरिया बना हुआ है। दूसरी में 1957 में बनी 'दो आंखें बारह हाथ' फिल्म का दृश्य (नृत्यांगना) दिखाया गया है। यह मूवी भारत में रंगीन चलचित्र इस्तेमाल करने वाली फिल्मों में से एक थी। इसके बाद 1959 में बनी 'नवरंग' का चित्र बना है। बता दें, इन फिल्मों के लिए शांताराम को कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया था।

वी शांताराम ने अभिनेता के तौर पर लगभग 25 फिल्मों में काम किया है. इनमें 'सवकारी पाश', 'परछाईं', 'दो आंखें बारह हाथ', 'स्त्री' और 'सिंहगड़' जैसी फिल्में शामिल हैं. उन्होंने लगभग 92 फिल्में प्रोड्यूस की और लगभग 55 फिल्मों में निर्देशक के तौर पर काम किया है. इनमें 'नेताजी पालकर', 'चंद्रसेना', 'अमर ज्योति' और 'झनक झनक पायल बाजे' जैसी फिल्मों का नाम शामिल हैं.

शांतराम को फिल्मों में उनके द्वारा किए गए नए प्रयोगों के लिए जाना जाता है. उन्होंने 1933 में पहली रंगीन हिंदी फिल्म बनाई थी. वहीं, हिंदी फिल्मों में मूवींग शॉट्स और ट्रोली का भी सबसे पहले उन्होंने ही इस्तेमाल किया था. साथ ही एनिमेशन का प्रयोग भी उन्होंने ही शुरू किया था. भारत में फिल्मों के लिए सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फालके पुरस्कार और पद्म विभूषण से सम्मानित वी शांताराम ने 88 साल की उम्र में 1990 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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