ओपिनियन

तो क्या 2022 के चुनावों में भाजपा को होगा पॉलिटिकल लॉस? जयराम ही रहेंगे CM चेहरा

तो क्या 2022 के हिमाचल चुनावों में भाजपा को होगा पॉलिटिकल लॉस? क्या चौका लगाने के बाद पार्टी छक्का लगाने से चूकेगी? ये सवाल इसलिए चर्चा का विषय बन जाते हैं क्योंकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मौजूदा मुख्यमंत्री के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ने और उन्हीं के दोबारा सीएम कैंडिडेट होने का ऐलान कर दिया है। उनके ऐलान से जहां सवा चार सालों से नाराज चल रहा भाजपा का एक धड़ा और भी निराश हो चुका है तो वहीं संगठनात्मक स्तर और पार्टी के कई जमीनी खिलाड़ी-कार्यकर्ता भी खफा हो चुके हैं।

चूंकि, जयराम ठाकुर ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे तो ऐसे में उन्हें पसंद न करने वाले भाजपाई आने वाले चुनावों में कोई बड़ा खेल कर सकते हैं। इसके साथ ही भाजपा का एक धड़ा तो पहले ही चुनाव में अलग काम करने वाला है क्योंकि वे जयराम ठाकुर की जगह किसी और को मुख्यमंत्री के पद पर देखता है। ऐसे में आने वाले चुनावों के मद्देनज़र ये कहना ग़लत नहीं होगा कि क्या मिशन रिपीट के सपने देख रही भाजपा को हिमाचल में पॉलिटिक्ल लॉस तो नहीं होगा?

जयराम ठाकुर को पसंद नहीं करते कुछ भाजपाई!

इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रदेश भर में ऐसे भाजपा के कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी हैं जो खुद मुख्यमंत्री पद पर जयराम ठाकुर को पसंद नहीं करते। एक धड़ा तो पहले ही उनसे निराश है लेकिन धड़े से अलग भी कार्यकर्ता उन्हें मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहते। यहां तक कि कई नेताओं की भी मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद जयराम ठाकुर नहीं है लेकिन हाईकमान के आदेशों पर कोई खुल कर बोलने को तैयार नहीं। अब जब आप के वरिष्ठ नेता ने अनुराग ठाकुर के नाम से मुख्यमंत्री के नाम सियासी राग छेड़ा तो इन भाजपाईयों को जरूर कुछ उम्मीद जगी थी। लेकिन नड्डा ने उनकी इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

चौका के बाद छक्का लगाना होगा संभव?

अगर भाजपा के अंदरखाने ऐसा ही हुआ तो भाजपा के लिए हिमाचल फतह करना नामुमकिन हो जाएगा। वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर बेशक़ दोहरे मन से ही सही लेकिन हिमाचल और गुजरात फतह करने के साथ चुनावी जीत का छक्का लगाने की बात कह चुके हैं। लेकिन क्या जयराम ठाकुर के नाम पर हिमाचल फतह करना अनुराग ठाकुर के बयान को झूठा साबित कर जाएगा?

उपचुनाव में हाई लेवल गुटबाजी

इससे पहले हिमाचल में हुए चार उपचुनावों में भी भाजपा की गुटबाजी सरेआम देखने को मिली थी। फतेहपुर से लेकर जुब्बल कोटखाई तक पार्टी में कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं ने गुटबाजी को हवा दी। आखिर में आलम ये रहा कि भाजपा की चारों सीटों पर हार हुई। मंडी में भी लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों ने नोटा को ज्यादा मारा जो दर्शाता है कि लोग मुख्यमंत्री को उन्हीं के जिला में अच्छा रिस्पॉन्स नहीं दे रहे।

Manish Koul

Recent Posts

दस साल से रेलवे लाइन का राग ही अलाप रहे अनुराग, मंजूरी तक नहीं दिला पाए : मुख्यमंत्री

नादौन: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नादौन में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा…

11 hours ago

कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र में 1910 मतदान केंद्र होंगे स्थापित: डीसी

धर्मशाला, 18 मई: रिर्टनिंग आफिसर कांगड़ा चंबा संसदीय क्षेत्र डीसी हेमराज बैरवा ने बताया कि…

11 hours ago

विवि के क्षेत्रीय केंद्र में निकाली मतदाता जागरूकता रैली

धर्मशाला, 18 मई: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र धर्मशाला में लोकसभा तथा विस उपचुनाव में…

11 hours ago

आगामी चुनावों में 5711969 मतदाता अपने मताधिकार का करेंगे प्रयोग: मनीष गर्ग

मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने आज यहां बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा अनुमोदित…

11 hours ago

20 मई को टंग और बरवाला फीडर के अंतर्गत बिजली बंद

धर्मशाला, 18 मई: सहायत अभियंता विद्युत उपमंडल सिद्धपुर कर्मचंद भारती ने बताया कि 20 मई…

11 hours ago

ये जग्गी का नहीं, धर्मशाला की जनता का चुनाव, सरकार करेगी रुके हुए काम: बाली

कांग्रेस सरकार के साथ चलेगी धर्मशाला की जनता, जग्गी को MLA बनवाकर बढ़ेगा विकास का…

11 hours ago