उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव भी उम्मीदवारी पेश कर सकते हैं। इस रिपोर्ट ने हर किसी को चौंकाया है। अखिलेश यादव लगातार चुनावी मैदान में न उतरने की बात करते रहे हैं। दरअसल, अखिलेश यादव पार्टी के प्रचार के लिए पूरे प्रदेश में घूमने की बात कर चुनावी मैदान में उतरने से इंकार करते रहे थे। लेकिन, अब उनके चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा है। अखिलेश यादव पर चुनावी मैदान में उतरने का दवाब भारतीय जनता पार्टी की ओर से उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद से ही बनने लगा था।
भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहरी विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद से लगातार अखिलेश यादव से सवाल हो रहा था कि वे सपा की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं तो चुनावी मैदान में क्यों नहीं खड़े हो रहे। सीएम योगी के चुनावी मैदान में उतरने से पूर्वांचल की सीटों पर भाजपा को फायदा पहुंचता दिख रहा है। ऐसे में अब अखिलेश यादव भी जवाबी हमले के लिए तैयार होते दिख रहे हैं। उनके कन्नौज या फिर मैनपुरी से चुनावी मैदान में उतरने की भी चर्चा तेज हो गई है।
अखिलेश यादव अभी आजमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से उन्होंने जीत हासिल की थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के समय योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद थे। विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश भेजा गया था। अभी वे विधान परिषद के सदस्य हैं। अब अखिलेश यादव सामने से जवाब देने की तैयारी कर रहे हैं। वे संदेश देना चाहते हैं कि अगर वे मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं तो वे सांसद रहते हुए भी चुनावी मैदान में उतर कर सामना करने को तैयार हैं। अभी उनके सीट को लेकर कुछ फाइनल नहीं हुआ है।
मुख्यमंत्री के चेहरे को चुनावी मैदान में उतारने का फायदा पार्टी को मिल सकता है। भाजपा उन्हें उन्हीं के गढ़ में घेरने की कोशिश करेगी। ऐसे में वे पश्चिम बंगाल जैसी स्थिति यहां पैदा कर सकते हैं। जिस प्रकार से ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट पर भाजपा के तमाम नेताओं का ध्यान केंद्रित कराकर पूरे प्रदेश में अपने पक्ष में माहौल बना दिया था, कुछ वही प्रयास अखिलेश भी कर सकते हैं। वहीं, भाजपा उन्हें अपने ही घर में उलझाने की रणनीति पर काम कर सकती है। हालांकि, चुनावी मैदान में बड़ा चेहरा के उतरने का असर आसपास की सीटों पर भी पड़ना तय माना जा रहा है।