<p>हिमाचल प्रदेश की नवनियुक्त सरकार का पहला विधानसभा शीतकालीन सत्र 9 जनवरी से शुरू होने वाला है। इसी बीच अब कांग्रेस की दिक्कतें बढ़ गई हैं, क्योंकि कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष के लिए एक-तिहाई बहुमत नहीं है। कांग्रेस के पास कुल 21 विधायक हैं जो कि नेता प्रतिपक्ष के बहुमत के लिए काफी नहीं है।</p>
<p>लिहाजा कांग्रेस ने अपने सीएलपी लीडर का नाम भी पब्लिक कर दिया है। लेकिन, अभी तक कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी के लिए 2 और विधायकों का समर्थन चाहिए, जो कि कांग्रेस नहीं जुटा पा रही है। यदि कल तक ऐसा नहीं होता है नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देना जयराम सरकार पर निर्भर करेगा।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>क्या है नेता प्रतिपक्ष के लिए प्रोसिजर</strong></span></p>
<p>दरअसल, नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी के लिए हारी हुई पार्टी को एक-तिहाई बहुमत लेना पड़ता है, जो कि हिमाचल में 68 विधानसभा क्षेत्रों के मुताबिक 23 है। यदि पार्टी के पास ये बहुमत ना हो तो वे नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी खुद नहीं तय कर सकता। ऐसे में मौजूदा सरकार तय करती है कि नेता प्रतिपक्ष रखना है या नहीं।</p>
<p>इसी कड़ी में 2017 के चुनावी परिणामों में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष के लिए 2 सीटों से पिछड़ रही है औऱ जीते निर्दलीय विधायक बीजेपी को समर्थन दे रहे है। यदि ऐसा हुआ है तो कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष के लिए खुद दावेदारी नहीं पेश कर पाएगी और इसका दर्जा जयराम सरकार पर निर्भर करेगा। याद रहे कि 9 जनवरी से 12 तक नई सरकार का पहला सत्र होने वाला है।</p>
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