इन दिनों बीबीएमबी- भाखड़ा जैसे मुद्दों पर पंजाब और हरियाणा के बीच सियासत गरमाई हुई है। इस बीच पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने चंडीगढ़ सहित बीबीएमबी और शानन विद्युत प्रोजेक्ट में हिमाचल के हिस्से की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में हिमाचल की 7.9 हिस्सेदारी और बीबीएमबी में 15 हज़ार करोड़ की हिस्सेदारी को लेने के लिए सभी दलों से एकजुट होने का आह्वान कियाहै। इसको लेकर उन्होंने 15 अप्रैल से पहले विधानसभा का विषेश सत्र बुलाने की भी मांग उठाई गई है।
ऐसा न करने की स्थिति में डॉ. राजन सुशांत ने प्रदेश में आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी दी है। राजन सुशान्त ने शानन प्रोजेक्ट में हिस्सा न मिलने के स्थिति में जबरन कब्जे की भी धमकी दी है। सुशांत ने कहा कि पंजाब हरियाणा चंडीगढ़ और बीबीएमबी में अपने हिस्से की लड़ाई लड़ रहे हैं। ये असल मे हिमाचल का हक़ है, जिसको लेकर हिमाचल सरकार सोई हुई है। 1966 से लेकर न हिमाचल की जनता जागी न सरकारें जागी। आज तक के सभी मुख्यमंत्रियों ने अपने आप को कायर पंगु सिद्ध किया है। हिमाचल गरीब प्रदेश नहीं है। हिमाचल के जल, जंगल वजमीन है जिसको बेच दिया गया है।
उन्होंने कहा कि 20 हज़ार मेगावाट में से 10 हज़ार का दोहन ही हो पाया है, जिसमें से हिमाचल मात्र 500 मेगावॉट ही बिजली उत्पादन कर पाया है। 9500 मेगावॉट बेच दिया गया है। बीबीएमबी और भाखड़ा हिमाचल का है फ़िर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान कहां से आ गए। 56 साल में हिमाचल को उसका हिस्सा तक नहीं मिला। सर्वोच्च न्यायालय तक में गलत आंकड़े दिए गए। बावजूद इसके सर्वोच्च न्यायालय ने 2142 करोड़ रुपए 2011 में हिमाचल को देने का फ़ैसला लिया गया। जो आज 4200 करोड़ रुपया हो गया है, जिसको मुख्यमंत्री आज तक नहीं ले पाए।
उन्होंने जय राम ठाकुर को सलाह दी कि अपने हक़ का पैसा मांगे। हालांकि 15 हज़ार करोड़ बीबीएमबी से हिमाचल के बनता है। शानन प्रोजेक्ट का मालिक भी पंजाब बना हुआ है जबकि हिमाचल को इस प्रोजेस्ट से 5 हज़ार करोड़ मिलना चाहिए। चंडीगढ़ यूनियन टेरटरी रहनी चाहिए। चंडीगढ़ में हिमाचल का 7.9 भी हिस्सा है ये हिमाचल को दिया जाए। ये हिमाचल के हक़ है। 14 अप्रैल तक मुख्यमंत्री ने सत्र नही बुलाया तो हिमाचल में संघर्ष शुरू कर दिया जाएगा।