क्या बीजेपी भेद पाएगी कांग्रेस के गढ़ शिमला का तिलिस्म?

<p>हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में शिमला जिला भी अहम स्थान रखता है। शिमला जिला में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं। इन आठ विधानसभा क्षेत्रों में 2012 में हुए चुनाव में कांग्रेस की झोली में छह सीटें आई थी, जबकि बीजेपी को शिमला शहर की एक सीट से ही संतोष करना पड़ा था। यहां तक कि बीजेपी के जुब्बल कोटखाई से बागवानी मंत्री भी भारी मतों से चुनाव हार गए थे। चौपाल विधानसभा की एक सीट बलवीर वर्मा ने निर्दलीय&nbsp; प्रत्याशी के रूप में जीती बाद में बलबीर वर्मा भी समय की नजाकत को समझते हुए सरकार के साथ हो लिए। हालांकि, अब बलबीर वर्मा ने पासा बदलते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया है।</p>

<p>2012 के चुनाव में जो छह सीटें कांग्रेस ने जीती उनकी जीत का अंतर भी कम नहीं था यानी कि कांग्रेस ने बीजेपी के उम्मीदवारों को भारी मतों से धूल चटाई। सबसे बड़ा रिकॉर्ड अंतर रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र में रहा, जहां कांग्रेस को 20 हज़ार से ज्यादा की लीड मिली। हैरानी की बात ये रही कि इस लीड को कांग्रेस पार्टी डेढ़ साल तक भी कायम नहीं रख पाई, क्योंकि मई 2014 में हुए लोकसभा आम चुनाव में शिमला से भी बीजेपी को बढ़त मिली। ऐसे में अब ये कहना भी बेमानी होगा कि जिला शिमला कांग्रेस पार्टी का गढ़ है।</p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>शिमला शहर से वीरभद्र सिंह लड़ सकते हैं चुनाव</strong></span></p>

<p>इस मर्तबा भी जिला शिमला की कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र से अनिरुद्ध सिंह, ठियोग से आईपीएच एवम बागवानी मंत्री विद्या स्टोक्स, रामपुर से सीपीएस नंद लाल, जुब्बल कोटखाई से सीपीएस रोहित ठाकुर और रोहड़ू विधानसभा सीट से कांग्रेस के मोहन लाल बरागटा का नाम तय माना जा रहा है। जबकि शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य का नाम आगे चल रहा है। इसके अलावा शिमला शहर से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा ये तय नहीं है। शिमला शहर से अटकलें मुख्यमंत्री के भी चुनाव लड़ने की हैं। अब बचा चौपाल विधानसभा क्षेत्र तो वहां से उम्मीद ये है कि कांग्रेस मार्केटिंग बोर्ड के उपाध्यक्ष सुभाष मंगलेट को यहां से चुनाव लड़ाएगी।</p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>शिमला में इस बार तीनों दलों में हो सकती है कड़ी टक्कर</strong></span></p>

<p>उधर बीजेपी ने शिमला शहर की एकमात्र सीट जीती थी वह भी 600 वोटों के अंतर से, जहां बीजेपी विधायक सुरेश भारद्वाज ने कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश जनारथा को हराया था। क्योंकि, शिमला में हमेशा बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआईएम के बीच तिकोना मुक़ाबला रहता है। इसलिए इस मर्तबा भी तीनों ही दलों में यहां कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।</p>

<p><span style=”color:#e74c3c”><strong>BJP ने शिमला में अभी तक किसी उम्मीदवार को नहीं दी हरी झंडी</strong></span></p>

<p>बीजेपी ने शिमला में अभी अपने किसी भी उम्मीदवार को हरी झंडी नहीं दी है। हालांकि, शिमला में बीजेपी के टिकट के तलबगारों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन दो बार जीते मौजूद विधायक सुरेश भारद्वाज की टिकट यहां से पक्की मानी जा रही है। इसी तरह भले ही जुब्बल कोटखाई से पूर्व मंत्री नरेन्द्र बरागटा दस हजार मतों के अंतर से हारे हों, फिर बीजेपी अंतिम बार उनपर दांव खेल सकती है। जबकि, चौपाल विधानसभा सीट में निर्दलीय बलवीर वर्मा के बीजेपी में शामिल होने से उनकी टिकट पर मुहर लग सकती है। ठियोग से भी पिछली मर्तबा हार का मुंह देख चुके राकेश वर्मा की टिकट पक्की मानी जा रही है। इसके अलावा रोहड़ू, रामपुर, शिमला ग्रामीण और कसुम्पटी से अभी कौन चुनाव लड़ेगा इस पर संशय बना हुआ है।</p>

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