दीपिका नयाल (वरिष्ठ पत्रकार)
पंजाब चुनाव के नतीजों के बाद ‘आम आदमी पार्टी’ का जोश काफी हाई है और इसके बल पर गुजरात और हिमाचल प्रदेश पर भी दावा ठोकने की बात ‘आम आदमी पार्टी’ के नेता कर रहे हैं. हालांकि, ऐसी जीत के बाद लीडरशिप का छाती ठोकना लाजमी भी है. लेकिन, हिमाचल और गुजरात की जनता को AAP एक तरह का “इलेक्टोरल कॉमाफ्लॉज” दे रही है. पंजाब को आगे रखकर खासकर पहाड़ी राज्य हिमाचल की जनता को सिर्फ़ अर्द्धसत्य बताया जा रहा है.
AAP की विज्ञापन मशीनरी और प्रचार तंत्र ने बड़े ही सफाई से उत्तराखंड के नतीजों से ध्यान डायवर्ट कर दिया है…जहां जनता ने इनके कुल 70 उम्मीदवारों में 67 की जमानत जब्त कर दी. जमानत जब्त होने वाले उम्मीदवारों में AAP के सीएम कैंडिडेट भी शामिल हैं. अगर हम पंजाब में AAP के 10 सालों के संघर्ष से हटकर उत्तराखंड के बरक्स दूसरे पहाड़ी राज्य हिमाचल को देखें तो पहली मर्तबा परिदृश्य काफी साफ हो जाता है.
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की तैयार साल 2020 के आस पास आम आदमी पार्टी ने शुरू कर दी थी। न सिर्फ पार्टी ने वहां बेस खड़ा किया बल्कि दिल्ली से कार्यकर्ता घर-घर पहुंचे और सदस्यता अभियान भी चलाया लेकिन जनता ने आम आदमी पार्टी को सिरे से नकार दिया. शायद जनता को फ्री बिजली और पानी का वादा पसन्द नहीं आया । 10 मार्च को उत्तराखंड चुनाव परिणाम में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला और कांग्रेस सिर्फ़19 सीटों पर सिमटकर रहना पड़ा। उत्तराखंड में दिल्ली मॉडल को लाने की बात करने वाले अरविंद केजरीवाल की गांरटी पर उत्तराखंड की जनता ने भरोसा नहीं जताया. यही वजह रही है दो प्रत्याशियों को छोड़कर ‘आप’ के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
इसकी उम्मीद शायद पार्टी ने कभी नही थी । सीएम चेहरे कर्नल कोठियाल की भी जमानत जब्त हो गई । इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 की 70 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. इसमें से 67 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई. वहीं, 33 कैंडिडेट को 1000 से भी कम वोट मिले और 32 प्रत्याशी 5000 से भी ले पाए इतना ही नहीं सीएम पद के चेहरे कर्नल अजय कोठियाल की भी जमानत जब्त हो गई. आम आदमी पार्टी के 4 प्रत्याशियों को सिर्फ 10 हजार से ज्यादा मत मिले।, बागेश्वर से बसंत कुमार और बाजपुर से सुनीता टम्टा ही अपनी जमानत बचा पाई.उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई और उत्तराखंड में पार्टी को बस 3.31% मत मिले हैं.
नैनीताल में सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई.
आम आदमी पार्टी के सिर्फ दो कैंडिडेट ही अपनी जमानत बचा पाए है इससे आप समझ सकते है कि राज्य में आम आदमी पार्टी को कैसा रिस्पॉन्स मिला है. अब इन नतीजों से आप हिमाचल और गुजरात के चुनावों का आंकलन कर सकते हैं. जहां तक गुजरात की बात है तो वहां पर नरेंद्र मोदी का विशाल चेहरा है और पार्टी काफी ताकतवर है. पिछली बार कांग्रेस ने यहां कड़ी टक्कर भी दी थी. ऐसी में राज्यों की अपनी पॉलिटिक साइकोलॉजी को समझते हुए फिलहाल आम आदमी पार्टी की आगामी विधानसभा चुनावों का विश्लेषण करना सही होगा…
Note: दीपिका नयाल वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड की एक्टिविस्ट हैं. उन्होंने उत्तराखंड में भू कानून की लड़ाई की शुरुआत की और उनका संघर्ष जारी है.
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