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आज रात का चांद देखा तो लगेगा कलंक, शीतल चांद क्यों बन गया कलंक का चांद?

पी.चंद, शिमला |

पत्थर चौथ भादो महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। आज का गणेश चतुर्थी का दिन चांद को देखने से कलंक का दोष वाला दिन कहलाता है। कहा जाता है कि आज के दिन चांद देखने से कलंक लगता है। इसलिए इसे कलंक चौथ भी कहा जाता है।  जो भी मनुष्य आज के दिन चांद के दीदार करता है उसे मिथ्या कलंक लगता है।

कहा जाता है कि आज के ही दिन  गणेश जी कहीं जा रहे थे चलते हुए उनका पांव कीचड़ में फिसल गया। जिससे चंद्रमा हंस पड़े। चंद्रमा के इस व्यवहार से गणेश जी क्रोधित हो गए और चंद्रमा को श्राप  दिया की आज के दिन तुम्हारे दर्शन से लोगों को मिथ्या कलंक लगेगा। यदि किसी ने चांद ग़लती से देख लिया किसी के घर की छत पर पत्थर फेंकने से दोष दूर हो जाएगा।

इस कलंक से एक ओर कथा जुड़ी हुई है जिसके मुताबिक़ द्वारिकापुरी में सत्राजित नामक एक सूर्यभक्त रहता था। सत्राचित की भक्ति से प्रसन्न हुए सूर्यदेव ने उन्हें एक मणि प्रदान की। मणि के प्रभाव से सब तरफ सुख शांति थी किसी प्रकार का कोई दुख और आपदा नहीं थी। एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने यह मणि राजा उग्रसेन को देने की सोची। सत्राचित को जब इस बात का पता चला तो  उसने मणि अपने भाई प्रसेन को दे दी।

कहा जाता है कि एक बार प्रसेन घने जंगल में शिकार करने मणि सहित गए । शिकार के दौरान एक शेर प्रसेन को मारकर खा गया। इसी जंगल से जब जामवंत घूमते हुए पहुंचा तो शेर के मुख में मणि देखकर शेर को मारकर मणि को ले लिया। उधर जब प्रजा को प्रसेन की मौत का पता चला तो उन्होंने सोचा कि श्रीकृष्ण ने प्रसेन को मारकर मणि छीन ली है।

श्रीकृष्ण को जब पता चला कि प्रजा उन्हें दोषी मान रही है तो वह परेशान होकर  प्रसेन को खोजने के लिए जंगल में निकल पड़े। जंगल में भगवान कृष्ण को प्रसेन में साथ साथ मृत शेर की देह मिली। जामवंत के पैरों के निशान के आधार पर  श्रीकृष्ण जांबवंत के पास पहुंच गए उससे यह बात पूछने ल जांबवंत ने भगवान से माफी मांगी और सारा वृतान्त सुनाया। इसी घटना के बाद जामवंत ने अपनी कन्या जांमवंती का विवाह श्रीकृष्ण से किया और भी उन्हें दे दी। जब  प्रजा को सच्चाई का पता चला तो उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। इस तरह चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करने से भगवान के ऊपर भी झूठा कलंक लगा था