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मंडीः पांडवों ने बनाया ममलेश्वर मंदिर, 250 ग्राम गेहूं का दाना और भीम का ढोल उठाता है कई रहस्य से पर्दा

पी. चंद |

शिमला से 100 किमी की दूरी पर मंडी की करसोग घाटी में स्थित ममलेश्वर मंदिर का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितना महाभारत काल है। मान्यता है कि यहां वनवास के दौरान पांडवों ने समय बिताया था। महाभारत काल से ही मंदिर में पांडवों द्वारा जलाया गया अग्निकुंड आज भी जल रहा है। ये अग्निकुंड 5 हज़ार साल पुराना बताया जाता है।

कहा जाता है कि सावन के महीने में यहां शिव और पार्वती कमल आसन पर मंदिर में मौजूद रहते हैं। ममलेश्वर मंदिर में गेहूं का एक बड़ा दाना भी मौजूद है, जिसका वजन 250 ग्राम है। जिसे पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान खाने के लिए उगाया था। ये भी 5 हजार साल पुराना माना जाता है। ममलेश्वर महादेव मंदिर में 5 शिवलिंग  मौजूद है।

मंदिर में एक प्राचीनतम बड़ा ढोल भी रखा हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अज्ञातवास के दौरान भीम खाली समय में इस ढोल को बजाया करते थे और वहां से जाते समय उन्होंने ये ढोल मंदिर में छोड़ दिया था। मंदिर के पास कई शिवलिंग, शिव और विष्णु भगवान की मूर्तियां भी  मिली थी। ये मंदिर लाखों लोगों की आस्था का प्रतीक है। जहां वर्ष भर श्रदालुओं का तांता लगा रहता है।