<p>हिमाचल युवा कांग्रेस में धार देने के लिए अब पुराने जीते हुए लोगों को उनका उचित स्थान मिलने लगा है। कभी आंदरूनी पॉलिटिक्स का शिकार रहीं नीतू चौधरी एक बार फिर से कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने जा रही हैं। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष मनीष ठाकुर ने भारतीय युवा कांग्रेस के इंचार्ज और AICC सेक्रेटरी कृष्णा अलवारू, प्रभारी हिमाचल प्रदेश अमित यादव और सह प्रभारी जगदेव गागा की अनुमति से नीतू चौधरी को कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र यूथ कांग्रेस का दोबारा अध्यक्ष नियुक्त किया है। वहीं, यहां के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील शर्मा को प्रदेश का महासचिव बनाया है।</p>
<p>फिलवक़्त कांगड़ा नगर पार्षद की जिम्मेदारी संभाल रहीं नीतू चौधरी ने युवा कांग्रेस का अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल ली हैं। इसके लिए उन्होंने युवा कांग्रेस के अध्यक्ष मनीष ठाकुर, भारतीय युवा कांग्रेस के इंचार्ज और AICC सेक्रेटरी कृष्णा अलवारू, वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीएस बाली, युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव कृष्णा अलवारू, युवा कांग्रेस के हिमाचल इंचार्ज अमित यादव, सह प्रभारी जगदेव गागा और प्रदेश कांग्रेस महासचिव रघुवीर सिंह बाली का धन्यावाद किया है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>नीतू चौधरी की ताजपोशी क्यों है अहम?</strong></span></p>
<p>नीतू चौधरी को कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र के युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बनना अपने आप में एक बड़े परिवर्तन को दर्शाता है। इस पहल से अंदाजा लगाया जा सकता है कि युवा कांग्रेस ने संगठन को एकजुट कर दिया है। क्योंकि, गुटबाजी और आंतरिक राजनीति से तंग आकर नीतू चौधरी ने कांगड़ा के पार्षद चुनाव की ओर रुख किया और जबरदस्त मतों से जीत हांसिल की थीं।</p>
<p> 4 साल पहले हुए यूथ कांग्रेस के चुनाव में नीतू चौधरी ने सुनील शर्मा को भारी मतों से शिकस्त दी थीं। उस दौरान नीतू को 1291 मत, जबकि सुनील को 450 वोट पड़े। इतनी बड़ी जीत के बाद भी नीतू को वह तरजीह नहीं दी जा रही थी। उल्टा सुनील शर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पेश किया जा रहा था। गौरतलब है कि नीतू प्रदेश कांग्रेस महासचिव आरएस बाली के खेमे से ताल्लुक रखती थीं। इसलिए उनका विक्रमादित्य से छत्तीस का आंकड़ा रहता था। लिहाजा, उन्होंने घर बैठकर पार्षद की भूमिका निभानी शुरू कर दी।</p>
<p>विक्रमादित्य के साथ छत्तीस का आंकड़ा होने के पीछे संगठन के आंदरूनी ध्रुवों के प्रभाव का असर था। दरअसल, नीतू चौधरी जीएस बाली और उनके बेटे रघुवीर बाली की समर्थक कैंडिडेट थीं। जबकि, सुनील शर्मा वीरभद्र और उनके बेटे विक्रमादित्य के कैंडिडेट थे। बावजूद चुनाव में हार के सुनील शर्मा को ज्यादा तवज्जो दी जाने लगी। जिसके बाद नीतू चौधरी ने खुद का रास्ता अलग कर लिया और बड़े अतंर से कांगड़ा पार्षद का चुनाव भी जीता।</p>
<p>नीतू चौधरी की जीएस बाली के परिवार से करीबी बेहद पुरानी है। दरअसल, रघुवीर सिंह बाली और नीतू के पति विनय चौधरी दोनों बचपन के घनिष्ठ मित्र हैं। बाली परिवार के साथ की वजह से ही वह चुनाव मैदान में भी उतरीं थीं।</p>
<p>अब जब नीतू चौधरी को कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो उन्होंने मनीष ठाकुर की अगुवाई में संगठन के लिए एकजुट होकर बेहतर काम करने की बात कही है। इस दौरान उन्होंने बेबाकी से कहा कि पहले की स्थित के मुकाबले आज के हालात काफी बेहतर हैं। चूंकि, युवा कांग्रेस अध्यक्ष मनीष ठाकुर और प्रदेश महासचिव आरएस बाली के बीच अच्छे संबंध हैं और दोनों एक ही टीम में साथ काम कर चुके हैं। ऐसे में यहां काम करने का माहौल काफी बेहतर हो सकता है। क्योंकि, यह टीम सामने वाले को काम से पहचानती है और उचित सम्मान भी देना जानती है।</p>
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