हिमाचल

8 महीने पानी में डूबा रहता हिमाचल का ये मंदिर, पांडवों ने बनाई थी यहां स्वर्ग की सीढ़ियां

सांस्कृतिक विरासत संजोए देवभूमि हिमाचल प्रदेश हजारों छोटे-बड़े मंदिरों की धरती है. माता ज्वाला जी, चिंतपूर्णी, त्रिलोकीनाथ, भीमाकाली, नयना देवी आदि अनेक ऐसे मंदिर हैं जिनका वैभव चारों दिशाओं में फैला है. यहां आपको एक ऐसे अनूठे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं. क्या आपने ऐसे मंदिर के बारे में कभी सुना है जो आठ महीने तक पानी के अंदर रहता है और सिर्फ चार महीने के लिए ही भक्तों को दर्शन देता हो. इस मंदिर को बाथू मंदिर के नाम से जाना जाता है और स्थानीय भाषा में ‘बाथू की लड़ी’ के नाम से प्रसिद्ध है. इस मंदिर की इमारत में लगे पत्थर को बाथू का पत्थर कहा जाता है. बाथू मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा अन्य आठ छोटे मंदिर भी हैं, जिन्हें दूर से देखने पर एक माला में पिरोया हुआ-सा प्रतीत होता है. इसलिए इस खूबसूरत मंदिर को बाथू की लड़ी (माला) कहा जाता है. इन मंदिरों में शेषनाग, विष्णु भगवान की मूर्तियां स्थापित हैं और बीच में एक मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है.

हालांकि, इस बात का पक्का प्रमाण नहीं है कि मुख्य मंदिर एक शिव मंदिर है. कुछ लोग इसे भगवान विष्णु को समर्पित मानते हैं परंतु मंदिर की शैली और बनावट को देखते हुए इसे शिव मंदिर माना गया है. कुछ वर्ष पूर्व स्थानीय लोगों ने मिल कर मंदिर में पुन: एक शिवलिंग की स्थापना भी की है. मंदिर में इस्तेमाल किए गए पत्थर, शिलाओं पर भगवान विष्णु, शेष नाग और देवियों इत्यादि की कलाकृतियां उकेरी हुई मिलती हैं.

पांडवों ने किया था इस मंदिर का निर्माण…

ऐसा माना जाता है कि बाथू मंदिर की स्थापना छठी शताब्दी में गुलेरिया साम्राज्य के समय की गई थी. हालांकि, इस मंदिर के निर्माण के पीछे कई किवदंतियां प्रचलित हैं. कुछ लोग इसे पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान बनाया गया मानते हैं. कहा जाता है कि स्वयं पांडवों ने इसका निर्माण किया था. उन्होंने अपने अज्ञातवास के दौरान शिवलिंग की स्थापना की थी. उन्होंने इस मंदिर के साथ स्तंभी की अनुकृति जैसा भवन बनाकर स्वर्ग तक जाने के लिए पृथ्वी से सीढ़ियां भी बनाई थीं जिनका निर्माण उन्हें एक रात में करना था. एक रात में स्वर्ग तक सीढिय़ां बनाना कोई आसान कार्य नहीं था, इसके लिए उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से मदद की गुहार लगाई, फलस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण ने 6 महीने की एक रात कर दी लेकिन 6 महीने की रात में स्वर्ग की सीढिय़ां बनकर तैयार न हो सकीं, सिर्फ अढ़ाई सीढिय़ों से उनका कार्य अधूरा रह गया था और सुबह हो गई.

आज भी इस मंदिर में स्वर्ग की ओर जाने वाली सीढ़ियां नजर आती हैं वर्तमान समय में इस मंदिर में स्वर्ग की 40 सीढ़ियां मौजूद हैं जिन्हें लोग आस्था के साथ पूजते हैं. यहां से कुछ दूरी पर एक पत्थर मौजूद है, जिसे भीम द्वारा फैंका गया माना जाता है. कहा जाता है कि कंकड़ मारने से इस पत्थर से खून निकलता है. इस मंदिर के बारे में ऐसे सारे राज यहां दफन हैं.

8 महीने तक जलमग्न रहता है ये मंदिर

ये सारा इलाका भारत सरकार द्वारा प्रवासी पक्षियों के आश्रय के लिए पक्षी अभयारण्य या आर्द्रभूमि (वैटलैंड) के रूप में संरक्षित है जिसमें किसी भी तरह का भवन निर्माण वर्जित है. पक्षियों पर अध्ययन के लिए आने वाले छात्रों, वैज्ञानिकों या प्रकृति प्रेमियों के लिए ये सबसे उत्तम जगह है. विदेशी सैलानियों का यहां आना-जाना लगा रहता है. खुले मैदान को पार करके जलाशय के तट पर पहुंच कर वहां का नजारा देखते ही बनता है. जलाशय में उठने वाली लहरें समुद्र तट जैसा रोमांच अनुभव करवाती हैं. अप्रैल से जून के महीनों में इस मंदिर के दर्शन के लिए उत्तम हैं. शेष 8 महीने तक ये मंदिर पानी में जलमग्न रहता है, तो उस दौरान इस मंदिर का ऊपरी हिस्सा ही दिखाई देता है. इस मंदिर के आसपास कुछ छोटे-छोटे टापू बने हुए हैं, इनमें से एक पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध है जिसे रेनसर के नाम से जाना जाता है. इसमें रेनसर के फोरैस्ट विभाग के कुछ रिजॉर्टस हैं जहां पर्यटकों के रुकने और रहने की उचित व्यवस्था है.

कैसे पहुंचें

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की तहसील ज्वाली के अंतर्गत आने वाले इस मंदिर तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. तहसील मुख्यालय ज्वाली से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर तक कार द्वारा वाया केहरियां-ढन-चलवाड़ा-गुगलाड़ा सम्पर्क मार्ग से होकर पहुंचा जा सकता है. ज्वाली से बाथू की लड़ी पहुंचने के दो रास्ते हैं, एक बिल्कुल सीधा रास्ता है, जिससे आप बाथू तक आधे घंटे में पहुंच सकते हैं और वही दूसरे रास्ते से आपको इस मंदिर तक पहुंचने में करीब 40 मिनट का वक्त लगेगा. मुख्य सड़क से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय करने के पश्चात मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

 

Vikas

Recent Posts

मां का खौफनाक कदम: दो बच्चों की हत्या कर खुदकुशी करनी चाही पर नहीं आई मौत

Mother murders children in Noida: उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के बादलपुर थाना क्षेत्र…

10 minutes ago

हिमाचल CPS विवाद: 9 विधायकों की सदस्यता पर संकट टला, कांग्रेस सरकार को सुप्रीम कोर्ट में राहत

Himachal CPS controversy: हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की रणनीति को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि…

34 minutes ago

PCC के गठन की कवायद तेज, पर्यवेक्षक नियुक्‍त, देंगे फीडबेक

AICC observers in Himachal Pradesh: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस…

19 hours ago

कांगड़ा जिला को आपदा प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए राज्य में मिला पहला स्थान

Kangra District disaster management: हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कांगड़ा जिला को स्वयंसेवियों के…

22 hours ago

सांगला-छितकुल सड़क को नया जीवन देगा बीआरओ

Karcham-Sangla-Chitkul Road: जनजातीय जिला किन्नौर में चीन सीमा से सटी और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण…

24 hours ago

रोट में खोट और राशन, बकरा घोटालों के बाद बाबा बालक नाथ न्यास में नए ट्रस्टियों की एंट्री

  Baba Balak Nath Temple Trust: पहले राशन घोटाला फिर बकरा निलामी पर किरकिरी और…

1 day ago